गजल
याद करै छी ओकरा जे ओ एतै कहिया ?
मनके ललुसा हमर पुरेतै कहिया ?
अपन मांग स'जौउनें बैसल छी हम ,
ओ सेनुर सँ हमर मांग सजेतै कहिया ?
जोवनक' रंग सब धोख्रल जाएत छै ,
ओ
नव रंग जोवनमे लगेतै कहिया ?
ध्रुव दर्शन लेल मन छै ब्याकुल हमर ,
ओ हमरा ध्रुव दर्शन करेतै कहिया ?
घर अंगना सुनसान लागैय हमर ,
नै जानी ओ प्रेमक' बाजा बजेतै कहिया ?
हमरा संग केलाह वादा कसमके ओ ,
हमरा दुल्हिन बनाके निभेतै कहिया ?
हार्दिक आभार प्रिय मित्र प्रकाश मैथिल जे अपनें हमर गजलके अपन अनलाईन पत्रिकामे स्थान देलौं ।
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